कहाँ गया वो अचानक पता लगे उसका...ग़ज़ल
मालीघाट मुजफ़्फ़रपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक गजल सुना रहे है:
कहाँ गया वो अचानक पता लगे उसका-
या कोई छाप या फिर नक्श ए पा मिले उसका-
मैं खामवाह उसे बेवफा समझता रहा-
वो दुनियादार हैं मौला भला करे उसका-
मैं चाहता हूं वहाँ बेघरो की बस्ती हो-
वो चाहता है मकबरा बने उसका-
मैं कैद ए जिद हूं मना ले कोई मना ले-
वो जा रहा हैं कोई रास्ता रोक ले उसका-
वो शख्स जिसने बनाए किले महल उसका-
वो दर ब दर कहीं आसरा बने उसका...