कई दिनो तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास...नागार्जुन की कविता
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार नागार्जुन की एक कविता सुना रहे है:
कई दिनो तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास-
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास-
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त-
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त-
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद-
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद-
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद-
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद...