हरदी चढ़ाउ सिआ के तेल चढ़ाउ हे...बिहार से वज्जिका भाषा में हल्दी विवाह गीत
सुनील कुमार मालीघाट मुजफ्फरपुर (बिहार) से वज्जिका भाषा में हल्दी विवाह गीत सुना रहे हैं:
हरदी चढ़ाउ सिआ के तेल चढ़ाउ हे-
बन्नी के गोर देहिआ खूब दमकाउ हे-
बन्नी हमार हए चान के टूकड़ा-
फूल जइसन हए बन्नी के मुखरा-
मुँह सम्हारू सखी हरदी लगाउ हे-
बन्नी के बांह जइसे फूल के डाढ़ी-
गमे गमे बहिआ पर हरदी चढ़ाऊ हे...