हम तो लूट गयेन सरकार...छत्तीसगढ़ी गीत
ग्राम-कामता, तहसील-नवागढ़, जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ से गौकरण वर्मा एक छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत कर रहे हैं. गीत शोषितों-वंचितों पर होने वाले अत्याचार के सन्दर्भ में है:
हम तो लूट गयेन सरकार-
तोहार भरे बीच दरबार हम तो लूट गयेन हो-
खुल्लम-खुल्ला राज्य में तोहार-
होवै अनाचार रहियो-रहियो खबरदार-
कमर टूट गए महंगाई में रहन है लोटा टठिया-
हम तो हो गयेन दू कौड़ी के तुम करोड़-लखपतिया-
भूख मा जनता का करिहीन ले भागिन खटिया-पटिया-
खेत-खार सब बैंक कर जमा हो गए बंटाधार-
हाय विधाता देश में बाढ़े दिन-दिन अत्याचारी-
परमिट वाले डाकू भइगे जन सेवा अधिकारी-
कुकरी कुकरा ठान-ठान के भूंजे आरी-पारी-
खांस के मनवा करम ठठावे नहीं रोये मामू बार-
खेत बेंच के पढ़े लिखेंन हम सोच के नौकरी पाबो-
दर-दर भटके नुमर पहाड़ के गा गा अपन लाचारी-
घुसकोरी बिन जोरा जोरी हम ये पढ़के ना हो पार-
हम तो लूट गयेन सरकार...