आदिवासी-मूलनिवासी होथेगा बदनाम भइया झन भुलइहा ना...बैगा आदिवासी संघर्ष गीत
ग्राम-छुइलापानी, तहसील-गौरेला, जिला-बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से हीरालाल बैगा से एक गीत गा रहे हैं जो आदिवासियों के अधिकार व जीविकोपार्जन के सन्दर्भ में है:
आदिवासी-मूलनिवासी होथेगा बदनाम भइया झन भुलइहा ना-
हाय हवै मौका के समान क़ानून झन भुलइहा जी-
जल-जंगल-पानी हमारा, वन अधिकार कानून साथी हमारा-
भइया तू मन झन भुलइहा गा-
हाय हवै मौका के समान क़ानून झन भुलइहा जी-
कोना-कोना इसका करते, चींटी सारी चर्चा भइया चींटी सारी चर्चा-
धोती है ना आंखी माई, झन डेरइहा ओला भइया झन भुलइहा ना-
हाय हवै मौका के समान क़ानून झन भुलइहा जी-
भूम बैगा बड़े घराना, नागा बैगा मंतर के-
भैना बैगा रैना भैना, देवार बैगा जड़ी-बूटी के-
मोल मड़हा झुरवा मैं कहथौं, रोज कमाथौं रोज गवांथौं पीढ़ी के गरीब रहथौं-
हाय हवै मौका के समान क़ानून झन भुलइहा ना...