बचपन में माहि काहे करदय सगाई...बाल विवाह विरोधी गीत
जिला-दतिया (मप्र) से रामजी राय एक गीत सुना रहे हैं जो बाल विवाह को रोकने से सम्बंधित हैं :
बचपन में माहि काहे करदय सगाई-
मेरी सुनले दुहाई मेरी माहि रे-
ओढ़ी हुई सयानी इन्हीं हाथो की गुडिया-
क्यों की सगाई आग किसने लगाई-
मोहे आगई रुलाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...
छोटा भैया पढने जाए मैं मन-मन रोहूँ-
उमर पढाई की हैं फिर भी घर में बर्तन धोहूँ-
चौके तो माहि लक्ष्मण रेखा बनाई-
कैसे लाहुं दिखाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...
करदी अगर सगाई तो जल्दी शादी मत करयो-
बच्ची हो माँ सिर को जिम्मदारी मत धरियो-
गईया कहाई तोरी कुटी की-
माहि बनना कसाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...