मन करता है सूरज बनकर, आसमान में दौड़ लगाऊं...बालिका की कविता
ग्राम-समीज,ब्लॉक- आनंदपुर, जिला-पश्चिम सिंहभूम, झारखण्ड से बसंती दास एक कविता सुना रही हैं:
मन करता है सूरज बनकर, आसमान में दौड़ लगाऊं
मन करता है चंदा बनकर, सब तारों पर अकड़ दिखाऊं
मन करता है बाबा बनकर, घर में होश जमाऊं
मन करता हैं पापा बनकर, मैं भी अपनी मूंछ बढाऊं
मन करता हैं तितली बनकर, दूर-दूर उड़ता जाऊं
मन करता है कोयल बनकर, मीठे-मीठे बोल सुनाऊं
मन करता है चिड़िया बनकर, चीं-चीं-चीं शोर मचाऊं
मन करता है चरखी लेकर, पीला-लाल पतंग उडाऊं