अपने लिए जिए तो क्या जिए...
अनूप कुमार जी, रोबर्ट्सटगंज, जिला सोनभद्र, उत्तरप्रदेश से एक प्रेरक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं :
अंपने लिए जिए तो क्या जिए, अंपने लिए जिए तो क्या जिए-
ये दिल तुझी ज़माने के लिए, अंपने लिए जिए तो क्या जिए-
अंपने लिए जिए तो क्या जिए...
बाजार के ज़माने से, कुछ भी न हम खरीदेंगे-
हम बेचकर ख़ुशी अपनी, लोगों के गम खरीदेंगे-
बूझते दिये को जलाने के लिए, ये दिल तुझी ज़माने के लिए-
अंपने लिए जिए तो क्या जिए...
हिम्मत बुलंद हैं अपनी, पत्थर सी जान रखते हैं-
कदमों तले जमी तो क्या, हम आसमान भी रखते हैं-
गिरते दिये को उठाने के लिए, ये दिल तुझी ज़माने के लिए-
अंपने लिए जिए तो क्या जिए...