आदिवासी मिले हैं, दूर देख्यो गोग्गा वे...गुजरात से आदिवासी गीत
गुजरात के नर्मदा जिले के नोआपाड़ा गाँव से हरीश भाई स्थानीय भाषा में एक आदिवासी गीत गा रहे हैं, जिसे आदिवासियों के विभिन्न उत्सवों, समारोह इत्यादि के अवसर पर गाया जाता है . गीत के माध्यम से यह बता रहे हैं कि – हम आदिवासी जंगलों में रहते हैं, हमारा रीति-रिवाज , बोली-भाषा , खान-पान सब अलग है . हम धरती और प्रकृति की पूजा करते हैं .
सात पुड़मा रेंगरा , अमा पेंडा पालो कन्नारा
आदिवासी मिले हैं, दूर देख्यो गोग्गा वे
धरती आति को मान्नरा मोर,प्रकृति को पुंजरा
आदिवासी मिले हैं...
रीति अमा जुदी हाइ, रिवाज अमार जुदो हाइ
आदिवासी मिले हैं....
बोली अम्मा जुदी हाइ, पेहराव अमार जुदो हाइ
आदिवासी मिले हैं, दूर देख्यो गोग्गा वे
मउआ हमरो पिनारा ओमो,गोदड़ी फांगे न होनरा
आदिवासी मिले हैं, दूर देख्यो गोग्गा वे