एक पइसा के हरदी, बुन्नी बरसा जल्दी हो...बरसा गीत
मुजफ्फरपुर बिहार से सुनील जी बरसा से सम्बंधित एक गीत गा रहे हैं.
एक पइसा के हरदी, बुन्नी बरसा जल्दी हो
बादल बरसा हो, बादल बरसा हो, बादल बरसा हो...
फिर-फिर के अचरा में भोरहर ये गौरैया चहके, अरे ये गौरैया चहके
कब से रूहजू बारी-झारी, कुइंयां तारू चटके हो
बादल बरसा हो, बादल बरसा हो....
सूखल ताल तलैया, सूखल हारल मन के मोर हो, हारल मन के मोर
सुखल चरावर हरना-हिरनी, बेलइ बन मा चोर हो
बादल बरसा हो,बादल बरसा हो, बादल बरसा हो...
गगरी रीतल, परल इनारा, पानी गेलइ पताल हो, पानी गेलइ पताल
सुबह में सोहत गौर नारी के, हंथवा भइले लाल हो
बादल बरसा हो, बादल बरसा हो....
चिरई चुरमुर खुल्ला बोलई, सांसत में है जान हो, सांसत में है जान
मंदारा के नहने चिकना, बोलइ हुक-हुक प्रान हो, बोलइ हुक-हुक प्रान
बादल बरसा हो, बादल बरसा हो....