कुछ भी नही बदला दोस्त,कुछ भी नही बदला
कुछ भी नही बदला दोस्त,कुछ भी नही बदला दोस्त
आकाश उतना ही पुराना है,जंगल,पगडंडी,पहाड पुराने हैं उतने ही
फिर कैसे कहते हो तुम कि दृश्य बदले हैँ
चीजें बदली हैं,कुछ भी नही बदला दोस्त
बदले हैं सिर्फ़ हम तुम
वरना पंख भी वही हैं,हवाएं रूत उडान भी वही हैँ ,
हवस,लालच,बदले की आग वही है
नफ़रत,लूट,खसोट,धोखा,अन्धविश्वास वही है
फिर कैसे कहते हो कि जमाना बदल गया है
हिटलर अब भी हैं कुछ भी नही बदला
और अब भी गोयवल्स घूम रहा है ,
अब भी नौजवान हथियार उठा रहे हैं,
अब भी कवि खौफजदा हैं
अब भी बद्तमीजियां,उद्ददंडताए,शंखनाद बजा रही हैँ ,
मान भी जाओ दोस्त कुछ भी नही बदला।
कुछ भी नही बदला...