अपने ही द्वारा निर्माणित शहर में मैं कहां हूँ...
अपने ही द्वारा निर्माणित शहर में मैं कहां हूँ
मैं स्वयं को ढूढ़ रहा हूँ मैं स्वयं को ढूढ़ रहा हूँ
विकास की इस अंधी आधी में, मैं कहा हूँ
अपने द्वारा निर्माणित शहर में मैं कहा हूँ
वो सौन्दर्य से परिपूर्ण चित्रित वो मेरी महबूब की बस्ती
बस्ती के बहार उछल कूद करते बच्चे
वो मेरे गाँव के मित्र कहा गए
अपने ही द्वरा निर्माणित शहर से दूर होगया हूँ
शायद अब इस शहर को मेरी जरूरत नहीं है.
हाँ शायद इस शहर को मेरी जरूरत नहीं है
मैं स्वयं को ढूढ़ रहा हूँ, मैं स्वयं को ढूढ़ रहा हूँ
इस शहर में मैं कहाँ हूँ, मैं कहा हूँ.