आल्हा है जन-जन के हित का भैया थोडा देना ध्यान...
मन की पीड़ा गाके कह रहे भैया सुन लो खोल के कान
आल्हा है जन-जन के हित का भैया थोडा देना ध्यान
फटे चीथड़े पहने फिरते नई कमीज़ कहाँ से लाएं
कैसे ब्याह करे बिटिया का कैसे पूरा कर्ज चुकाए
आज तलक तो सुधर ना पाई वो टूटी- फूटी खपरैल
ऐसे उम्र बीत गयी जैसे काटे उम्र खेत में बैल
तिल तिल करके मरते जा रहे है सांसत मे अब अटकी जान
आल्हा है जन जन .............२
टीबी से मर गई बहूँ की उसका इलाज न कर पाए
और बेटे का स्कूल छूट गया उसकी फीस न भर पाए
हरदम पड़ती ही रहती है हम पर बीमारी की मार
और डाक्टर फ़ीस के पाच सौ मांगे कैसे करवाये उपचार
पंख क़तर डाले पंछी के पंछी कैसे भरे उडान
आल्हा है.................२
हमको बतलाओ ये गरीब पर ही आफत क्यों आती है
नन्हे नन्हे बच्चों को क्यों मौत उठा ले जाती है ......२
और ढांचा हो गए मरियल बच्चे घर में काम है दाल और चून
और बच्चों की माँ ऐसी हो गई जैसे नहीं है बदन में खून ...२
हमसे पूछो कैसे लगता जब मर जाती है संतान
आल्हा है ...