बालिका भ्रूण ह्त्या के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए तब ही एक बेहतर समाज बन सकता है...
रामजी राय जिला दतिया मध्यप्रदेश से बेटियों के बारे में वर्तमान स्थिति को बताते हुए कह रहे है कि बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है लिंग जांच करवा कर जो बच भी जाती है उनके साथ घर में भेदभाव होता हैं जिसके चलते बहुत सी बेटियों का जीवन असमय समाप्त हो जाता हैं. 2011 जनगणना के मुताबिक मध्यप्रेश में ही 0-6 वर्ष की आयु में 1000 पुरुष की तुलना में मात्र 918 बेटियां है. इसको रोकने के लिए देश भर में वर्तमान प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना शुरू की है.यदि कोई पीसीपीएनडीटी एक्ट का उलंघन करता है उसको कड़ी सजा का प्रावधान है. इस नियम का कड़ाई से पालन होना चाहिए तब ही हम एक बेहतर समाज बना पाएंगे। रामजी राय@9425793158
Posted on: Feb 14, 2017. Tags: Ramji Rai
बचपन में माहि काहे करदय सगाई...बाल विवाह विरोधी गीत
जिला-दतिया (मप्र) से रामजी राय एक गीत सुना रहे हैं जो बाल विवाह को रोकने से सम्बंधित हैं :
बचपन में माहि काहे करदय सगाई-
मेरी सुनले दुहाई मेरी माहि रे-
ओढ़ी हुई सयानी इन्हीं हाथो की गुडिया-
क्यों की सगाई आग किसने लगाई-
मोहे आगई रुलाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...
छोटा भैया पढने जाए मैं मन-मन रोहूँ-
उमर पढाई की हैं फिर भी घर में बर्तन धोहूँ-
चौके तो माहि लक्ष्मण रेखा बनाई-
कैसे लाहुं दिखाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...
करदी अगर सगाई तो जल्दी शादी मत करयो-
बच्ची हो माँ सिर को जिम्मदारी मत धरियो-
गईया कहाई तोरी कुटी की-
माहि बनना कसाई मेरी माहि रे-
बचपन में माहि काहे...
Posted on: May 26, 2015. Tags: RAMJI RAI SONG VICTIMS REGISTER
पानी नइये गांव में, चलें नीम की छांव में...पानी पर गीत
स्वदेश संस्था, दतिया,मध्य प्रदेश से रामजी राय पानी के संरक्षण पर एक जागरूकता गीत प्रस्तुत कर रहे हैं:
पानी नइये गांव में, चलें नीम की छांव में-
बाकी है सब लाचारी, बेडी नइये पांव में-
पानी रोको, पानी रोको, पानी रोको भाई रे-
इसी से जुड़ी है भइया सबकी समाई रे-
भले हो अकाल आज पानी का-
कल तो रहेगा राज पानी का-
पानी नइये खेत में, अब क्या होगा जेठ में-
सावन में पपीहा रोए, आंसू टपके रेत में-
पानी देगा रूखे-सूखे पेरों को तराई रे-
पानीदार आंखे कभी रोई नहीं भाई रे-
डूबे न जहाज कभी पानी का-
पानी का रहेगा राज पानी का-
पानी सूखा ताल का, रोना है हर साल का-
गोरी धनिया तपे धूप में, रंग बदल गया खाल का-
पानी से ही ठंडी आग-छाया मिलती है भाई रे-
पानी ने पेड़ों की डोली कांधों पे उठाई रे-
पानी संत पानी पीर पानी है पयम्बर-
पानी नदी पानी बहाव पानी है समंदर-
राजा धरती की राजधानी का, पानी का रहेगा राज पानी का-
बैठेंगे सब छांव में, ठंडक होगी गांव में-
पानी-पानी जुड़ते-जुड़ते नदी बहेगी गांव में-
पानी से बढेगी सारी भूमि में तराई रे-
घास-पेड़-पौधे भी बढ़ेंगे खूब भाई रे-
काट न पाएगा धार मिट्टी पानी का बरसात में-
काम और रोजी-रोटी होगी अपने ही हांथ में-
खिलेगा रूप जिंदगानी का,पानी का रहेगा राज पानी का.
Posted on: May 13, 2015. Tags: Ramji Rai SONG VICTIMS REGISTER
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे...
जिला दतिया (म.प्र.) से रामजी राय मजदूरों को समर्पित एक गीत सुना रहे हैं:
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे-
एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे-
हम मेहनतकश जग वालों से...
यहाँ पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यहाँ सागर-सागर मोती हैं-
ये सारा माल हमारा हैं, हम सारा खजाना मांगेंगे-
हम मेहनतकश जग वालों से...
वो सेठ-व्यापारी-रजवाड़े, 10 लाख तो हैं हम सवा सौ करोड़-
ये कब तक अमरिका से, यूँ जीने का सहारा मांगेंगे-
हम मेहनतकश जग वालों से...
जो खून बहा, जो बाग उजड़े, जो गीत दिलों में क़त्ल हुए-
हर कतरे का हर गुन्चे का, हर गीत का बदला मांगेंगे-
हम मेहनतकश जग वालों से...
जब सब सीधा हो जायेगा, जब सब झगड़े मिट जायेंगे-
हम मेहनत से उपजायेगे, और सब बांट बराबर खायेंगे-
हम मेहनतकश जग वालों से...
Posted on: May 04, 2015. Tags: Ramji Rai SONG VICTIMS REGISTER
हारना है मौत, तुम जीत बनो रे...एक संघर्ष गीत
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
हारना है मौत, तुम जीत बनो रे
जब बैठे-बैठे आँखे भर आये दुःख से
तब सोचना दिन कैसे बीतेंगे सुख से
दुःख की लकीरे मिट जाएंगी मुख से
सूरज सा उगने की रीत बनो रे
माथे से छलके भाई जब भी पसीना
एक पल कबौ के भी होने से जीना
तब देखना कैसे फड़केगा सीना
सीने में धड़के वो संगीत बनो रे
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
पाप का घड़ा तो आखिर फूटेगा भाई
पापी किस,किस से फिर छूटेगा भाई
कोई लुटेरा कब तक लूटेगा भाई
खून-पसीने के मीत बनो रे
लड़ते हुए सिपाही का गीत बनो रे
फूलों से खिलना सीखो, पक्षी से उड़ना
पेड़ों की छावं बनकर धरती से जुड़ना
पर्वत से सीखो कैसे चोटी पे चढ़ना
गेहूं के दानो सी प्रीत बनों रे