बेटी की आराधना
अपना बचपन ही तो खेलने आती हैं आपके आंगन में हम बेटियां
लोरियों और थपकियों से ही तो बहलने आती हैं आपके आंचल तले हम बेटियां
हे मां, हे पिता सुनो
सिर्फ बचपन का ही तो मांगा है आजतक हमने आपसे आसरा
फिर भी हमसे क्यों है किनारा
हमारे लिए ही सोचने में क्यों देर है
क्यों हम सदियों से अपनों में ही गैर हैं
कबूल करो हमारी आराधना
हम भी जीव हैं
हमें भी दुनिया में लाने का कर दो एहसान
एक मेहमान बनकर ही तो आती है आपके घर में हम बेटियां
अपना बचपन ही तो खेलने आपके आंगन में आती हैं हम बेटियां
अपनेपन की ही तो प्यासी है हमारे मन की क्यारी
क्यों पैदा होने से पहले ही ठुकरायी जाती है ज़िंदगी हमारी
नारी से पैदा होकर नर को क्यों बोझ लगती है नारी
और क्यों तोडना चाहते हो हम कलियों को समझकर कांटों की डाली
सुनो चहकने भर ही तो आती हैं आपकी बगिया में हम बेटियां
हम भी अपने दम पर चलना सीख सकें
चांद तारों पर अपना नाम लिख सकें
आप लोगों का नाम रोशन कर बेटियों के प्रति दुनिया की सोच बदल सकें
सिर्फ एक मौका ही तो ढूंढ रही हैं
अनेको बार पैदा होने से पहले ही कोख में मर मर कर इस दुनिया में आने का
बाबुल प्यारे, आपकी उंगली के सहारे
बचपन ही तो संवरने आती हैं हम बेटियां
अपना बचपन ही तो खेलने आती हैं आपके आंगन में हम बेटियां
लोरियों और थपकियों से ही तो बहलने आती हैं आपके आंचल तले
आपके आंचल तले हम बेटियां
शिवराज घायल