विचार यात्रा थकी-हारी आत्मा...
*विचार यात्रा – थकी-हारी आत्मा/ कविता कृष्णपल्लवी / आवाज़- पवन सत्यार्थी*
साथियो,
सहकार रेडियो पर आज विचारों की यात्रा में सुनिए कवियत्री कविता कृष्णपल्लवी के कुछ विचार, इसे हमने उनकी फेसबुक वाल से लिया है|
उनकी ये फेसबुक पोस्ट, उन कुछ थोड़े से तथाकथित “समझदार लोगों” के बारे में बात करती है जो जीवन की डगर पर बहुत ही फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं, और इस डर से भरे रहते हैं कि कहीं कोई गलती न हो जाए| कहीं उनका कोई अहित न हो जाए| इसी डर के बोझ से दबे दबे, चिंतित व थके हुए जीवन के प्रति उदासीन रवैया रखते हुए इस दुनिया से विदा ले लेते हैं| ज़ाहिर है आत्मा की ये थकान संक्रामक भी होती है, तो नई पीढियां अगर अपनी रचनात्मकता और उत्साह बनाए रखना चाहती हैं, तो उन्हें आत्मा की थकान वाले इस संक्रामक रोग से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए| और इसीलिए आप सबको साथी कविता कृष्णपल्लवी के इन विचारों से भी ज़रूर अवगत होना चाहिए|
इसे आवाज़ दी है पवन सत्यार्थी ने| सुनिए वो क्या कहती हैं|
https://youtu.be/ZQi4O8sMTGk *वेबसाइट पर सुनें/ ऑडियो डाउनलोड करें:*
https://www.sahkarradio.com/chart/thaki-hari-aatma-by-kavita-krishnpallavi/
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