उठो, नई किरण लिए जगा रही नई उषा... कविता
सूरदास पैकरा, जिला जशपुर छत्तीसगढ़ से एक कविता सुना रहे हैं:
उठो, नई किरण लिए जगा रही नई उषा
उठो, उठो नए संदेश दे रही दिशा – दिशा।
खिले कमल अरुण, तरुण प्रभात मुस्करा रहा,
गगन विकास का नवीन, साज है सजा रहा।
उठो, चलो, बढ़ो, समीर शंख है बजा रहा,
भविष्य सामने खड़ा प्रशस्त पथ बना रहा।
उठो, कि सींच स्वेद से, करो धरा को उर्वरा,
कि शस्य श्यामला सदा बनी रहे वसुंधरा।