चले विश्व गुरु अर्थ व्यवस्था दारू पर...गीत-
बिहार से सीजीनेट श्रोता शिवशंकर एक गीत सुना रहे हैं:
आम न जाता आज घास को झाड़ू पर-
चले विश्व गुरु अर्थ व्यवस्था दारू पर-
अब कीचड़ में कमल नही मदिरा में है-
पंजे का बल बोतल नशा सिरा में है-
मर्द की छोड़ो गौर करो मेहरारू पर...(AR)