बघेली कविता सुना : 'शीर्षक' अवारा नाति..
ग्राम, पोस्ट-पडरी, तहसील-सिरमौर, जिला-रीवा (मध्यप्रदेश) रमेश प्रसाद यादव एक बघेली कविता सुना रहे हैं:
एक दिन हम चले जात रही सवौहे पकड़ें धर्रा-
रही प्यासी खूब दोपहरी, घाम जेठ के कर्रा-
दुरिन से गोहराई हमका बड़का भैया बैसाखू-
बैठा चौदहा मापने बनावत चुन तंबाकू-
कहा कैसे आयना अपना बैठा छाया लगाई-
आजवे के रखवार आय का देखि हम का भौजई-
वही के बैठे-बैठे उकर नाति धुर्रा उढावत-
बंद करी अखबार पढ़वत लागे नाति के हाल बतावत-
पढ़-लिखे भात न एके दिन भर दौड़ी कूदी-
देखना बनय गुरुवन का एक पूंजी-
कैसों-कैसों आठंवा निकला नवना मा नाम लिखा यन-
एको दिन स्कूल नही गा रौवा फीस दवायन-
कुछ देखकर करो शिक्षा बाति-
नयते ऐसे घर-घर पैदा हुई गा अनपढ़ आवारा नाति ...