लोगो में गोंडी सीखने की ललक है, लेकिन इस भाषा में अभी तक शिक्षा का कोई साधन नही...
अंबिकापुर, जिला-सरगुजा (छत्तीसगढ) से कोमल सिंह नेताम बता रहे हैं कि गोड़ी भाषा अभी केवल आदिवासी ग्रामीण इलाको में ही बोले जा रहे हैं, शिक्षा के रूप में सामने नही आया है, 1990 में मध्यप्रदेश सरकार ने गोड़ी भाषा से शिक्षा देने का प्रयास किया था, उसमे कुछ पुस्तकें भी निकली गई थी, लेकिन उसमे सफलता नही मिली, गोड जाती में इस भाषा को सीखने की ललक है, लेकिन अभी तक गोड़ी लिपि में लिखाने या पढ़ाने का प्रयास किसी ने नही किया है और जो पुस्तके प्रकाशित हुई है वो देवनागरी लिपि में है, गोंडी में एक दो पुसतकें आई है, लेकिन अभी कोई भी ऐसा व्यक्ति सामने नही आया जो अच्छे से गोड़ी लिख पढ़ सके |