गोटुल में सुनाये जाने वाला गोंडी हट्टोन्ग
ग्राम-गुन्दुल, पोस्ट-पानीडोबीर, विकासखंड-कोयलीबेडा, तहसील-पखांजूर जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से रमा कडियम एक हट्टोन्ग सुना रही है. गोंडी संस्कृति में हट्टोन्ग सुनाने का रिवाज है, बहोत पहले ज़माने में गोटुल में हट्टोन्ग सुनाया करते थे! कई इलाको में आज भी जीवित है, यह वही हट्टोन्ग है:
लोपा लोपा तिनमा दादन वह्चीकन,(अन्दर अन्दर मत खाओ भैया को बताउंगी)
उचुह्नोर पेकाल राजान संग उधिस तिन्तोर-
(छोटासा लड़का राजा के साथ बैठकर खा रहा है)
हुडिलोर पेकाल कड्स कड्स दायतोर-
(एक छोटा सा लड़का है वो जोर जोर से चल रहा है )
नडुम नडुम मंडा..रंड वडकेंग टोंडा-
(बीच बीच में मडवा है दोनों किनारे में नार)
दडीया मेंड रुपियानुंग लकला परनाह आयो-
(थाली भर के रूपये को गिन नहीं सकते है)
दोड भूम ता लया वाता..कोकोहने पिला एतीता-
(एक निचे गाँव से लड़की आई है एक नन्ही सी बच्ची पाई है )
वर्रोर पेकाल कड़ीहच कड़ीहच गत्ते उह्यान्तोर-
(एक लड़का जुक जुक के कपड़ा पहन रहा है )
उह्ताय्तोर, पुयले पुन्गार तुन..कोय परनाह आयो-
(खिला हुआ फूल को हम तोड़ नही सकते है)