ऊँचा मस्तक का हिमालय खड़ा हुआ पहरेदार बना...कविता
ग्राम- बगईडाड, पोस्ट- बिहारपुर, जिला- सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से धरती सिंह एक कहानी सुना रहें हैं :
ऊँचा मस्तक का हिमालय, खड़ा हुआ पहरेदार बना-
उत्तर में सीमा पर है अड़ा हुआ-
आंधी तूफानों में इसनें सदा अटल रहना सीखा-
इन की ठंठी वर्षा को भी वे चुप रहकर सहना सीखा-
हमभी सत्य पर अडिग रहें हिमगिरी का संदेश यही-