चुन-चुन करके चिड़िया तिनका, अपना नीड़ बनाती है...प्रेरक कविता -
जिला-बडवानी (मध्यप्रदेश) से सुरेश कुमार एक कविता “चलते रहो” सुना रहे है:
चुन-चुन करके चिड़िया तिनका, अपना नीड़ बनाती है-
नन्ही से चीटी को देखो, हरदम चलती जाती है-
मधुमक्खी ने कण-कण, -करके अपना छाता जोड़ा-
गिर-गिरकर भी ऊपर चढ़ना, मकड़ी ने कब छोड़ा-
घूम-घूम कर धरती कैसे दिन और रात बनाती-
लगा-लगा सूरज के चक्कर, सुंदर ऋतु लाती...