आई ऋतु जब बसंत की, तन मन सब खिल उठा...कविता-
बड़वानी (मध्यप्रदेश) से सुरेश कुमार एक कविता सुना रहे हैं :
आई ऋतू जब बसंत की तन मन सब खिल उठा – तरु-तरु, डाली-डाली, अंग-अंग महक उठा – आई ऋतू जब बसंत की कोयल छिपकर आमो के पत्तो में – मनहोर गजल सी कूकती सबके मृदुल ह्रदय को छू गई – प्रकृति ने सिंगार है किया आज रंग बिरंगे महकते फूलो से – सामने पड़े है मोर किसानो में है उत्साह का शोर – मिल गया श्रम का मोल होली धुरेड़ी में सब मग्न हुए...