छोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे...छत्तीसगढ़ी परम्परागत गीत
ग्राम-उमरखोही, विकासखंड-गौरेला, जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से धनसाय मरावी गाँव की कुछ महिलाओं से छत्तीसगढ़ी भाषा में एक परम्परागत गीत सुन रहे हैं :
छोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे-
पानी बिन पवन पिलगा जेहि शीत बरन के-
जेहि पलंग में हवा लगे है लिए भरोषा तनके-
धुक-धुका छाती करे चुनचुना कारे जाभी रे-
नैना मा निरा बहोवाय-
यमपुर रे राजा आवे बंदिश रखे हाथी-
घर मुर्दा राखे लईके जईहा माटी-
चोला ला हरे भगवाना बचने वाला कोई नईया रे...