रक्षक बनके भक्षक बनना ये कैसा ईमान रे...कविता
ग्राम-अंजनी, विकासखंड-मवई, जिला-मंडला (मध्यप्रदेश) से सग्गन शाह मरकाम इस बदलते दौर के बारे में बताते हुए एक कविता सुना रहे हैं :
रक्षक बनके भक्षक बनना ये कैसा ईमान रे-
मानवता को कुचल रहे हैं ये कैसे इंसान रे-
खून पसीना बहे साथियों काम करे किसान रे-
भरन पोसन करे सभी का उनकी मेहनत जान रे-
कम बजट मिलता उन्हें है योजना के नाम रे-
उनके पीछे लगे लुटेरे वे रिश्वत के खान रे...