गरीब दूर तक चलता हैं, खाना खाने के लिए, अमीर मीलो चलता हैं, खाना पचाने के लिए...
जिला-जशपुर (छत्तीसगढ़) से निधि रजवाड़े अपने सुविचार प्रस्तुत कर रही हैं:
गरीब दूर तक चलता हैं, खाना खाने के लिए-
अमीर मीलो चलता हैं, खाना पचाने के लिए-
किसी के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं हैं-
किसी के पास खाने के लिए वक्त नहीं हैं-
कोई लाचार हैं इसलिए बीमार हैं-
कोई बीमार हैं इसलिए वह लाचार हैं-
कोई अपनों के लिए रोटी छोड़ देता हैं-
तो कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देता हैं-
ये दुनिया भी कितनी निराली हैं-
कभी वक्त मिले तो सोचना-
कभी छोटी से चोट लगने पर रोते थे-
आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हैं-
पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे-
आज दोस्तों की यादो में रहते हैं-
पहले लड़ना मनाना रोज का काम था-
आज एक बार लड़ते हैं तो सारे रिश्ते खो जाते हैं-
सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सिखा दिया-
जाने कब हमको इतना बड़ा बना दिया-
जिन्दगी बहुत हैं प्यार से जीयो-
जो भाग्य में हैं वो भागकर आएगा-
जो नहीं हैं वह आकर भी भाग जाएगा...