हम दीवानो की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहां चले...कविता
साहेबगंज, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से गुलशन कुमार एक कविता सुना रहे हैं:
हम दीवानो की क्या हस्ती-
आज यहाँ कल वहां चले-
मस्ती का आलम साथ चला-
हम धूल उड़ाते जहाँ चले-
आए बनकर उल्लास अभी-
आंसू बनाकर हम चले अभी-
किस ओर चले यह मत पूछो-
चलना है बस इसलिए चलो-
जग को अपना कुछ दिए चलो...