बढ़ते यदि चले जाओगे मंजिल तुम्हे मिल जायेगी...सुविचार
शैली मिश्रा ग्राम-ओझापुरवा, ब्लॉक-जवा, जिला-रीवा, मध्यप्रदेश से सुविचार सुना रही है:
बढ़ते यदि चले जाओगे मंजिल तुम्हे मिल जायेगी-
मुड़कर यदि न देखोगे-
गलती यदि न दोहराओगे तभी सफलता पाओगे-
मंजिल तुम्हे मिल जायेगी-
गलती करने वाला ही तो मनुष्य कहा जाता है-
और उससे सीखने वाला बुद्धिमान बन जाता है-
मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है-
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है-
मन अगर सच्चा है तो किस्मत तेरी दासी है-
कर्म तेरे अच्छे हैं तो घर में मथुरा काशी है-
बातों को तू सुनता जा ओलो को बरसात मिलेगी-
नेक राह पर चलता जा मंजिल की सौगात मिलेगी-
न भूलना न भूलने की कोशिश करना-
अगर मिल गए किसी मोड पर-
तो मुस्कुराने की कोशिश करना-
जिन्दगी की राह पर आशा और निराशा है-
मिलकर बिछड़ जाना मेरे दोस्त-
जीवन की यही परिभाषा है...