सोनी सोरी की कहानी सुनो, सोनी सोरी की ज़ुबानी सुनो ...एक कविता
सोनी सोरी की कहानी सुनो
सोनी सोरी की ज़ुबानी सुनो
पढ़ी है लिखी है पढ़ाती भी है
एक माँ है, पत्नी है, साथी भी है
भारत की नारी है, वासी भी है
अधिकार से आदिवासी भी है
तिरंगे का इतना उसे मान है
लड़कर के लहराया पहचान है
भले ही अभी लोग अनजान हैं
मगर ये भारत की असल शान है
लिंगा कोडोपी की हैं ये बुआ
सुनो के इक दिन कुछ ऐसा हुआ
गाँव में तीन सौ घर जल उठा
हुए बालात्कार और सबकुछ लुटा
हत्यारा पुलिस बल था पता जो चला
लिंगा ने जाकर के सब सच लिखा
सबूतों से लिंगा के रमण सिंह हिला
यहीं से शुरू हुआ नया सिलसिला
पहले तो लिंगा को दोषी कहा
नहीं बस चला तो उसे अगवा किया
प्रताड़ित किया और भूखा रखा
फिर सोनी सोरी पर इलज़ाम गढ़ा
पैसों के लालच से बिक न सकी
तो सोनी भी बलि की बकरी बनी
उठा लाए दिल्ली से सोनी को वो
फिर सुन न सकोगे आगे है जो
अंकित गर्ग नामक एस पी है एक
वहशी दरिंदा है इन्सां के भेस
अकेली नारी को बंदी बना कर
अपने कमीनो की टोली बुला कर
सोनी सोरी को नंगा किया
माता को गाली देता गया
जब बिजली के झटकों से दिल न भरा
तो सोनी की इज्ज़त पर वो टूट पड़ा
पीड़ा से सोनी बेहोश हो गई
अत्याचार इसपर भी न रुक सका
सोनी की कोख में पत्थर भरा
सुबह को सोनी थी आधी मरी
दर्द से कराहती वो चल न सकी
चक्कर जो आया तो फिर गिर पड़ी
शरीर से निर्बल थी, मगर वाह रे वाह
टूटा न मर्दानी का हौसला
उच्चतम न्यायलय में अर्ज़ी लिखी
रमण सिंह की सरकार हिलने लगी
सीबीआई तक बातें पहुँचने लगी
हर एक अत्याचार सबूत बन गए
आईपीएस के अफसर कपूत बन गए
वीरता पदक देकर अंकित गर्ग को
कलंकित किया है हर एक मर्द को
धिक्कार है ऐसी सरकार पर
फिटकार है ऐसी सरकार पर
जिस कोख से जन्मे हैं सब के सब
उस कोख के लाज की बात है
लड़ेंगे, क़सम से हम मर जायेंगे
इन्साफ़ माता को दिलवाएंगे
रिज़वी