कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती... एक कविता
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है
दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढकर गिरना गिरकर चढना
खतरनाक होता है
आखिर उनकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताकार लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है
इसे स्वीकार करो
क्या कमी रह गई
देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो
नींद चैन को त्याग तुम
सन्घर्ष का मैदान छोडकर मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नीरज