वोट वोट वोट...उसी को मिलता हैं साथी...एक कविता
वोट वोट वोट...उसी को मिलता हैं साथी
इसे खरीदने के लिए,जिसके पास होता हैं
बाजुओ में ताकत झूटे मीठे वादों के साथ
गरमा गरम् नोट नोट नोट |
सिर्फ उसी को मिलता हैं वोट वोट वोट
सदियों से ये सौदे बाजी चल रहा हैं’
इस सौदे में वोटर बेचता हैं अपना ईमान
क्या होगा इस देश का फ्यूचर और फेट
जहाँ इंसान का इमांन और मज़बूरी को’
पांच साल तक खरीद सकता हैं
सिर्फ एक कागज का नोट नोट नोट
इसी का नाम हैं क्या वोट वोट वोट?