निर्भया निर्भया निर्भया !
वो मंजर भूलता नहीं इन
दिल में सिसकियाँ उठती है
अब तो हर आहट डराती है
दिल्ली अब शैतानी लगती है
न चाह के भी अपनी रूह छुपानी पड़ती है
अपनों से भी अब दूरी बनानी पड़ती है
हम सब में एक निर्भया बसती है
हम सब में एक निर्भया बसती है