जब दिल की कोठरिया साफ़ नहीं ऊपर से नहाये का होई...गीत
प्रेमलाल केवट सिवनी मध्यप्रदेश से एक गीत सुना रहे हैं:
जब दिल की कोठरिया साफ़ नहीं ऊपर से नहाये का होई-
जब कपट कसार की चालत रही तब माला घुमाए का होई-
काया की गाड़ी ज्ञान की इंजन चालक कहाए का होई-
जब एक्सीडेंट तुम कर ही चुके तब हार्न बजाये का होई-
काशी गए मथुरा गए सब तीरथ नहाये का होई-
जब बाप की खोपड़ी फोड़ ही दिए तब पिंडा पदाए का होई-
बहुत गई कुछ समझ न पाया अब पछताये का होई...