नागपुरी कविता हेजाय गेलक हीरानागपुर का हिंदी अनुवाद
खो गया हीरानागपुर
मिट रहा सरना
धँस रहा मसना
गाँव का चुआँ
खलिहान का कुंबा
पूरा घर, पूरा बखरी
नहीं मिलते अब तो
एक भी रूगड़ा-खुखड़ी,
सहिया-मितान मददत
गोतिया-गुइया भी (रिश्ते-नाते)
अब तो बेधड़क
बोलने लगे हैं भाषा जापानी,
मुर्गा का बांग
ढेंकी का
ढाँकू चाँ-ढाँकू चाँ
पतल में डबकते
धान की धमक
नहीं दिखते अब तो
मोर,तोता आउर पोस मैना,
मड़ुवा रोटी, पीठा
धुसका, सकरपाला
नहीं मिलते अब तो
अपना देश का गुलगुला
वन-पहाड़, टोंगरी-पतरा
घूमते रहते थे
सियार, बाघ, भालू
चोंचा चिड़िया का घोंसला,
नहीं मिलते अब तो
हँसली-पौंची गले की सिकरी,
करया-फेटा,लुगा-झूला
हल-कुदाल फार
खुरपी-पाटा
सगरगाड़ी पितामाह का कंधा,
नहीं मिलते अब तो
एक भी पहर भांफा कंदा,
जतरा-मेला
रामढेलुवा-झूला
कुमना,बारहा
जांता-चाला
मोरहा, पटिया
बच्चों की खाट
नहीं मिलते अब तो
नापा-जोखा, सेरहा पैला,
अम्बा, जामुन, डउह, कटहल
पीले बांस की हड़ुवा-करील
सुरगुजा, ठेपा, कुदरूम
लाले-लाल तूंत पातले
नहीं मिलते अब तो
गोलगोला साग चाकोढ़ गुड़ा,
घड़ा-खपड़ा
कुंआ-तालाब
डमकच-अधरतिया
राग अंगनई
नहीं सुनाते अब तो
अखाड़े में
तांग-तांग धातिंग तांग...!
वीरेन्द्र महतो की मूल नागपुरी कविता का हिंदी अनुवाद स्वयं कवि द्वारा