न कोऊ हमारे हैं, बड़े दुखियारे हैं...एक बुन्देलखंडी गीत
न कोऊ हमारे हैं, बड़े दुखियारे हैं
बड़े भोर दातुन पानी कोटे में हमें नइया
आँख मीडत साऊ आगए कारे उठो नइया
लगे काटने दोई धार इन को नइया को नऊआ लगे करमन के बचका रे
लड़का बिटिया लगे खेलने न तन पर उन्ना रे
न कोऊ हमारे हैं, बड़े दुखियारे हैं
काम करत में बात न करते आँख में अंशु आए, ई जीवन को काम भला है
रोटी ना खाए उठा के रोटी पिया को देदे, नून मिर्च बांटो
दो दो रोटी सबने खाए फिर चारो काटो कि इ घर सर का ले चंगे
काहो को बेटा रोहे , रोहे परे बेटा के मारे
ततो पानी पी पी रोवे लड़का- बिटिया रे
न कछु के छारे है न कोऊ हमारे हैं
उन्ना लगता कोऊ को नैया साया फट गए मोरे
फूटी कौड़ी घर में नैया कहे को आए तिजोरे
न डाक्टर करे दवाई पांच हजार लेक देने न मिले नाज दवाई
सुने न कोई सरकार ,लूटे ससो नेता रे तो सरकार
पूंजी पतियाँ से मांगो दस दस रूपया रे
न कोऊ हमारे हैं