तू फूल सिद्धू कान्हू तिलका, बिरसा, गोविन्द, टाक्या बाबा का...
जलडेगा पुहान जिला सिंमडेगा झारखण्ड से अनुज लुगुन बिरसा मुंडा के सहादत दिवस पर सीजीनेट स्वर के माध्यम से साथियों को एक कविता सुना रहे हैं जिसका शीर्षक है- “हूल” (क्रांति)
तू फूल सिद्धू कान्हू तिलका, बिरसा, गोविन्द, टाक्या बाबा का.
तू फूल सिद्धू कान्हू तिलका, बिरसा, गोविन्द, टाक्या बाबा का.
तुझे खोसता हूँ तो उल्गुलान नाचता हैं, तुझे पूजता हूँ तो जंगल लह-लहाता है.
तुझे खोसता हूँ तो उल्गुलान नाचता हैं, तुझे पूजता हूँ तो जंगल लह-लहाता है.
खिला रहे यह फूल जंगल जंगल हूल
हूल हूल हूल !