चलो गाँव के ओर साथी, चलो गाँव के ओर...एक गीत
चलो गाँव के ओर साथी, चलो गाँव के ओर ...२
इतना सन्नाटा है , करना है कुछ तो ...
चलो गाँव के ओर साथी, चलो गाँव के ओर
पीने को पानी नहीं कुवां बहुत है दूर ,
हर साल पलायन करने को जनता है मजबूर !!
आज भी कायम है यहाँ जात पात की दीवारें ,
इन्हें तोड़ कर हमें बनाना मानवता की दीवारें !!
इस सपना को पूरा करने चलो लगा दो जोर ,
चलो गाँव के ओर साथी चलो गाँव के ओर
नौजवान को काम नहीं है और बच्चे काम पर जाते हैं ,
मिटटी सारा ढोते हैं पंचर ट्यूब बनाते हैं !!
हर बच्चा शाला में जाये नौजवान को काम मिले ,
देरी ना हो मजदूरी में समय पर पूरा दाम मिले !!
पानी जंगल और जमीन के हम हीं हों सिरमौर,
चलो गाँव के ओर साथी, चलो गाँव के ओर ...