बदलते हुए समय में
ऐसा लगता है सब बदल रहा है
समय की गति
इंसान की मति
मिट्टी की महक
हवा की लहक
पेडों की लचक
पानी की चमक
बातों का रस
रिश्तों का सच
जीवन का रंग
अपनों का ढंग
इन बदलते हुए हालातों में
कहीं कोई इच्छा
कहीं कोई आशा
कहीं कोई राग, कहीं अनुराग
कहीं वेदना से उपजी संवेदना
इनके विविध रंग
ऊर्जा उत्साह उमंग
ये रहेंगे सदा संग
जैसे लहू का रंग
सब बदल भी जाए अगर
ये लाल रंग कभी नहीं बदलेगा
सतत शिराओं में बहते हुए
इस बदलते हुए समय में
अपनी जडों से हमें जोडे रखेगा
खुदेज़ा खान