गंगा किनारे खडी सीता नयन जल ढारय हो...बघेलखंडी गीत
गंगा किनारे खडी सीता नयन जल ढारय नयन जल ढारय हो
रामा आन्शुया ने भींजला चुनरिया
आँचल मूख पोछे – आंचल मूख पोछय हो
इतना बचन सुनी गंगा सिया लगी पूछे – सिया से लगी पूछय हो
सीता केकर बारी दुलारी कवन दुःख रोयु कवन दुःख रोइब हो
राजा जनक जी के बेटी ससुर राजादशरथ ,ससुर राजा दशरथ हो
स्वामी हमरो जगत कर तार, चरण अनुगामी , चरण अनुगामिन हो
जाने कवन अवे गामा -पथय मोहि बनवा हो
रामा सिया के वियोगमाय रॉय
नयन-नयन जल बरसय,नयन जल बरसय हो