फगुनिया अजब बहार, चैत गोरी चली नइहर को...होली गीत
फगुनिया अजब बहार, चैत गोरी चली नइहर को
पहिले बुलैये ससुर मेरे आये, ससुर के संगे के ना जावे हो।
फगुनिया अजब बहार, चैत गोरी चली नइहर को।
दूसरे बुलैये जेठ मेरे आये, जेठ के संग ना जावे हो।
फगुनिया अजब बहार, चैत गोरी चली नइहर को।
तीसरा बुलैये देवर मेरे आये, देवर के संग ना जावे हो।
फगुनिया अजब बहार, चैत गोरी चली नइहर को।