सहकार रेडियो: खरी-खरी : आग जलती रहे, धुवाँ उठता रहे- विष्णु नागर-

बहुत समय से ऐसा कुछ नहीं हो रहा था कि मोदी जी को मजा लाए। तो मोदी जी ने सोचा चलो रोजगार-रोजगार का खेला खेला जाए। मक्खन पर लकीर बहुत खिंच चुकी, अब पत्थर पर लकीर खींची जाए। खींच दी साहब उन्होंने चार साल के लिए युवाओं को अग्निपथ पर चला अग्निवीर बनाने की लकीर। चार साल बाद 21 साल की उम्र में उन्हें बेरोजगार करने की लकीर।”
श्रोताओं सहकार रेडियो के कार्यक्रम “खरी-खरी” की इस कड़ी में प्रस्तुत है पत्रकार, कवि और लेखक विष्णु नागर जी का एक और व्यंग लेख| जिसे उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है| इसका शीर्षक है- “आग जलती रहे, धुवाँ उठता रहे”| आवाज़ है पवन सत्यार्थी की|

Posted on: Jun 20, 2022. Tags: RADIO SAHAKAR

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