दोहा : प्रेम है तो मनुष्य है
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से बिरेन्द्र गंधर्व दोहा सुना रहे हैं:
जाघत प्रेम न संच रहे सोघट जान मसान
जैसे खाल लोहार की साँस लेत बिन प्राण
जिस प्रकार लोहार की ढोकनी साँस न होते हुये भी वह साँस लेती है वह निर्जीव है उसी प्रकार से जिसके हदय में प्रेम नही है वह जीते जी मुर्दे के समान है (AR)