बीत गयी है 64 बरसें, हम अपने अधिकारों को तरसे...एक बुन्देलखंडी गीत
दिल की लगी दिल जाने रे ,
मोर जियरा न माने ......
हाय हाय रे मोर जियरा न माने ...
बीत गई हैं चौंसठ बरसें ...2
हम अपने अधिकारों को तरसें
कर रहे हैं झूठे बहाने रे ...
मोर जियरा न माने ...
हाय हाय रे ..........
सड़कें खा गए ,तोपे खा गए
बच्चों का सब राशन खा गए
दिल की लगी दिल जाने रे
मोर जियरा न मने ....
हाय हाय रे मोर जियरा न मने ......2