झारखण्ड रे भैया सबसे सुंदर रे...मेहनतकश, दिलवाले आदिवासी रे...एक गीत
यह गीत जीतन मरांडी और उसकी टीम द्वारा रचित है,जिसे स्वर दिया है झारखण्ड के गिरिडीह जिले एक सामाजिक कार्यकर्ता अपर्णा मरांडी ने...
झारखण्ड रे भैया सबसे सुंदर रे.....
आके देखो रे ,मेहनतकश, दिलवाले आदिवासी रे
हम झारखंडी रे, हम आदिवासी रे
कोयल की कुह कुहू, तोते की किलकारी ...२
बहक रही यमुना नदी मचलती हुई बहती है !!!
पवनों का कौन रे झारखण्ड रे ,
मेहनतकश, दिलवाले आदिवासी रे
हम झारखंडी रे, हम आदिवासी रे ..
जंगल में सोना रे, मिटटी में चांदी रे ...२
यहाँ पर है खनिजों का किला रे ,
अनाजों का भंडार भरा है रे .....झारखण्ड रे
मोतियों का कटोरा हमर खंड रे, झारखण्ड रे
हमर झारखण्ड रे भैया सबसे सुंदर रे .....
आके देखो रे ,
मेहनतकश, दिलवाले आदिवासी रे
हम झारखंडी रे, हम आदिवासी रे ..२
बिरसा मुंडा कुर्बानी की मूरत रे ,
इनकी खुश्बू से महकती है खंड रे..झारखण्ड रे
अईसन है झारखण्ड लड़ के लेंगे .....
कुर्बानी देंगे, कुर्बानी देंगे
गाँव -गाँव में जनता का गाना गायेंगे,
हमारा राज लायेंगे ...३ !!!