आदिवासियों की पुरानी परम्परा जत्ता या जाता में बिजली नहीं लगती और शरीर भी स्वस्थ रहता है...
सीजीनेट जन पत्रकारिता यात्रा आज ग्राम-दमकसा, ब्लाक-दुर्गकोंदल, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) में पहुँची है वहां से बाबूलाल नेटी के साथ में गजानंद लान्जिवार है जो गाँव में पाए जाने वाले जाता या जत्ता के बारे में जानकारी दे रहे है. जत्ता दो गोल पत्थर से बनाया जाता है जिसको हिंदी में (पत्थर की चक्की) कहते है उसमे एक मुठिया लगा रहता है जिसको हाथ से पकड़कर घुमाया जाता है इससे गेहूं, दाल, भुट्टा और सूजी जैसे और भी अनाज को पीस सकते है ये आदिवासियों की पुरानी परम्परा है और ये आज भी ग्रामीण क्षेत्रो में देखने को मिलता है | धान के लिए अलग तरह का जाता होता है इस तरह के चक्की में बिजली नहीं लगती सिर्फ मेंहनत लगती है जिससे शरीर भी स्वस्थ रहता है