झारखंड जल रहा है...एक कविता
झारखंड जल रहा है, झारखंड जल रहा है
मम्मी पापा ज़रा देखो और सोचो झारखंड जल रहा है
जंगल जमीन लुट गयी, लुट गयी मातृभूमि
डूब रहे हैं मेरे बेटा बेटी
झारखंड का मिट्टी पत्थर हवा पानी सोना रूपा ताम्बा
लोहा कोयला अभ्रक, सबके सब सोना हमर
लूट लेलक बिदेशी दलाल
हाय रे हाय हमारे लिए कुछ नहीं बचा
हम कहाँ जाब, हम कहाँ जाब
जागो जागो झारखंड वासी, जंगल जमीन मिट्टी बचाओ
हम कहाँ जाब
अपर्णा मरांडी