कन्या भ्रूण ह्त्या के खिलाफ एक कविता...
ना मुझे याद रखना ना मेरा नाम याद रखना
बस मेरा पैगाम याद रखना, कन्या भ्रूण ह्त्या तुम कभी ना करना
भावी जननी, बहन और बहू बेटियों की जन्म से पहले ह्त्या न करना
नहीं तो ये समाज विकृत हो जाएगा, तो फिर वारिस कहाँ पाएगा
नर पशुवत व्यवहार करेंगे, किसी का घर नहीं बस पाएगा
एक दिन फिर ऐसा आएगा दुनिया में न नर मिलेंगे और न नारी मिल पाएगी
मानव का सिर्फ नाम रह जाएगा, तो फिर मानव का भविष्य कौन बढ़ाएगा
क्या इतिहास पुन: दुहराना होगा,
आदम और हव्वा, मनु और स्वतंत्रता को फिर से धरती पर आना होगा
पूंछ वाले मानव फिर आएँगे, वृक्षों के पत्ते और जानवरों के खाल पुन: पहनाना होगा
क्या पत्थर के हथियार फिर से बनाना होगा, कच्चे मांस चबाना होगा
या मांस आग में भूनकर खाना होगा, क्या पुन: असभ्य कहाना होगा
क्या एक बार आदमी को फिर पाषाण युग में जाना होगा
इसलिए मैं कहता हूँ कि कन्या भ्रूण ह्त्या ना करना, नहीं तो फिर पछताना
यदि नारी नहीं होगी तो नर कहां से आएगा,
क्या तू अपनी जननी का नामोनिशान मिटाएगा
एस पी जायसवाल