निःस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहिये...
राजनांद, छत्तीसगढ़ से विरेन्द्र गंधर्व हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर संदेस दे रहे हैं, ये त्यौहार हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनायी जाती है, इस जयंती पर यह बात सीखने की आवश्यकता है कि जिस तरह से हनुमान जी ने कभी श्रेय लेने के लिये काम नहीं किया और कभी श्रेय नहीं लिया| ठीक उसी तरह हमें भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिये|
Posted on: Apr 27, 2021. Tags: CG RAJNANDGAON VIRENDRA GANDHRV
गुलामी नहीं करनी चाहिये...कहानी-
जिला-राजनांदगाँव छत्तीसगढ़ से विरेन्द्र गंधर्ब एक कहानी सुना रहे हैं:
बहुत समय की बात है जब एक दिन स्वामी विवेकानंद भ्रमण के लिये निकले तो वे एक गाँव में पहुंचे, उन्होंने देखा कि कुछ महिलायें कुआ के पास पानी भरने के लिये खड़ी हैं लेकिन पानी नहीं भर रही हैं, तब विवेकानंद उनके पास गये और पूछा तुम लोग पानी क्यों नहीं भर रहे हो, महिला ने उत्तर दिया, पानी का रहट हटाने के बाद पानी लेना पड़ता है और उसे हम नहीं उठा सकते हैं पहलवान आयेगा तो उठायेगा, स्वामी जी बोले गाँव में और कोई पुरुष नहीं है जो इसे उठा सकता है, महिला ने कहा पुरुष है लेकिन उसका काम कोई और करे तो उसका अपमान हो जायेगा, जिस पर वे बोले ये तो गुलामी है और उन्होंने रहट उठाकर सबको पानी दे दिया और महिलायें चली गयी, तभी पहलवान आया है और बोलने लगा आपने मेरा काम करके मेरा अपमान किया है और आपको मुझसे लड़ना पड़ेगा, तब स्वामी जी बोले पानी भरने के लिये पहलवान की आवश्यकता नहीं होती है उसे तो कोई भी कर सकता है लेकिन पहलवान नहीं माना, तब स्वामी जी ने एक रुमाल भिगोकर दिया और कहा इसे निचोड़ो इसमे एक बूंद पानी नहीं बचना चाहिये, पहलवान उनकी बात मानकर रुमाल निचोड़ा लेकिन रुमाल में पानी बच ही जाता तो उसने हार मान लिया| (AR)