जो काम निकालने के लिये झूठी प्रसंसा करते हैं ऐसे लोगो से बचना चाहिये...कहानी-
एक मुर्गा था वह कूड़े दान में बैठा खाने के लिये कीड़े की तलास कर रहा था, एक शियर आया जंगल से जो मुर्गा को खाना चाहता था, उसने सोचा मै मुर्गा को पकडूँगा तो वह भाग जायेगा तो उसने चतुराई से काम करने की सोची और उसके पास जाकर उसकी तारीफ करने लगा, वह बोला तुम्हारे पिता तो बहुत बड़े गायक थे, उनके गीत बड़े बड़े राजा महाराजा और देवता सुनते थे, तुम ये क्या खा रहे हो, एसा सुनकर मुर्गा खुश हो गया, तब शियर ने कहा तुम गायक के बेटे हो तो तुम्हे भी गाना आता होगा| एसा सुनकर मुर्गा खुश होकर अपनी बेसुरी आवाज में चिल्लाने लगा तब उसे शियर ने पकड़ लिया और ले जाने लगा तब मुर्गा वाली को पता चला तो वह आई और मुर्गा शियर से छूट गया जिससे मुर्गा हँसने लगा और लड़की मुर्गा को लेकर चली गयी|
Posted on: Feb 01, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHRAV
अपनी बात मनवाने के चक्कर में आपसी विवाद नहीं करना चाहिये...कहानी
एक बार एक पेड़ के नीचे चार व्यक्ति बेठे थे उन व्यक्ति में एक थे पंडित जी दूसरे थे मौलवी तीसरे थे पहलवान और चौथे में थे दूकान दार और उसी पेड़ पर चार पक्षी भी बेठे थे और अपनी भाषा में कुछ बाते कर रहे थे| पंडित जी ने कहा कि मै जनता हूँ ये पक्षी क्या कह रहे हैं ये पक्षी कह रहे है राम लक्ष्मण दशरथ, मलवी ने कहा नही आप से ज्यदा मै जानता हूँ, ये पक्षी कह रहे है अल्ला मिया हजरत, अल्ला मिया हजरत दूकानदार ने कहा नहीं यार ये पक्षी कह रहे हैं धनिया मिर्ची अदरक धनिया मिर्ची अदरक, पहलवान ने कहा नहीं तुम सब चुप रहो ये कह रहे हैं दंड बैठक कसरत दंड बैठक कसरत| इसी में सभी आपस में लड़ने लगे और पच्छी उड़ गाये|
Posted on: Jan 29, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHRAV
गूंजे गूंजे गूंजे कोयलों की कूके...गीत-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेंद्र गंधर्व एक प्रेरणा गीत सुना रहे हैं :
गूंजे गूंजे गूंजे कोयलों की कूके-
न गूंजे न गूंजे बम और बंदूके-
जीवन के बस तीन निशान रोटी कपड़ा मकान-
कोई न इनसे वंचित हों पुरे हों इनके अरमान-
खेतो में फसले हों कभी न हो वो सूखे-
यही हमारा सपना है यही हमारी अभिलाषा-
ढाई अक्षर प्रेम के हों बोले चाहे कोई भी भाषा...
Posted on: Jan 26, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHRAV
अति भोजन हानिकारक है...दोहा-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंधर्व दोहा सुना रहे हैं :
अति भोजन हानिकारक है-
हानिकारक है अति मिठास-
हानिकारक है अति निकटता-
हानिकारक है अति विश्वाश-
अति मीठा न बोलिये मन में लोभ सरकार होय-
चिकित्सा कही न हो सके आजीवन तू रोय-
पालिये घर में भले चाहे बिच्छू सांप...